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आज देश की कानून ब्यबस्था का सही सही पता देश के लोगो को लगा है क्योकि आज देश में चल रहे निति बदलने के जज्बे को आज देश में किस तरेह से दवाया जा रहा है एस बात को आज दिल्ली की पुलिस ने साफ तौर से दिखा दिया है की कोई अगर देश में चल रहे किसी भी अपराध को अगर आज देश के लोग कड़े रूख के साथ बिरोध करेगे तो आज की सरकार व देश की पुलिस व प्रसासनिक अमला क्या कर सकता है दिल्ली में चल रहे दामिनी के गुन्हेगारो को फासी की माग पर सरकार तो आरोपियों के बिरोद्ध कुछ कर नहीं सकी लेकिन इसकी धमक सरकार व प्रशासन ने आम जनता पर दिखा ही दी क्यों की अब देश की जनता लगातार आगे बड रही थी तो कुछ अलग तो होना स्वभाबिक था बही दिल्ली की पुलिस ने कर दिखाया देश की निर्दोष जनता माग कर रही थी की बलात्कारियो को फासी दो, मिल गयी निर्दोष को भारतीय संबिधान की धारा 307.302 फिर क्या एस बात से आज साफ़ जाहिर हो रहा है की आज देश की राजनीती व देश की कानून ब्यबस्था आज किस हद तक गिर चुकी है क्या भारत में किसी भी अपराध का आज आम देश की जनता बिरोध नहीं कर सकती है या देश की जनता को यह चेताया जा रहा है अगर भारत में आवाज उठाने का यह फल है आज देश में इस तरेह के दाव पेचो का एस लिए देश की सरकार व प्रशासन प्रयोग कर रहा है की आगे से देश में कोई आवाज न उठे और उसका दूसरा कारण यह भी हो सकता है की आज देश के लोगो की आवाज दवाने का सबसे नायाब तरीका देश के प्रशासन व सरकार को यही मिला की सैकड़ो लोगो में कुछ लोगो को किसी बिरोध की हुई अनहोनी की भेट चड़ा दो फिर क्या एक की बजेह से सैकड़ो आवाजे अपने आप ही सान्त हो जाएगी और फिर धीरे धीरे देश के लोग भी भूल जायेगे की देश में कभी कोई सर्मसार कर देने बाली घटना भी हुई थी और फिर सुरु हो जाएगी देश में राजनीति फिर क्या आज मै इस बात से भी दुखी हूँ की देश का एक जवान किसी आक्रोश की बजेह से अपनी जान गवा बैठा लेकिन एस बात से हैरान भी को देश की बो पुलिस जो बिना किसी सबूत के एक कदम तक नहीं चलती बही पुलिस आज बिना किसी सबूत के अपने ही जान गवाने बाले कनेस्तबिल की सहीद होने पर देश के लोगो को ही निशाना बना रहे है आज अगर किसी बिरोध की प्रक्रिया में अगर आज देश के प्रशासन को कुछ भी परेशानी होती है तो इसका सीधा जिम्मेदार देश का आम नागरिक जो की अपने देश में कुछ बदले की चाह रखता है लेकिन क्या आज एस न्याय ब प्रसासनिक ब्यबस्था को कोई आम देश के नागरिक के पास कोई तोड़ नहीं है या आज के लाचार भारत की कहानी कांस्टेबल सुभाष चंद की मौत के मामले में क्या दिल्ली पुलिस झूठ बोल रही है. दिल्ली पुलिस के दावों पर दो चश्मदीद और राम मनोहर लोहिया अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट के बयान ने सवाल खड़े कर दिये हैं.
पुलिस कमिश्नर नीरज कुमार ने कल कहा था कि डॉक्टरों के मुताबिक सुभाष को पेट, छाती और गर्दन पर अंदरूनी चोट लगी थी जिसकी वजह से उनकी मौत हुई. अब आरएमएल अस्पताल के एमएस पीएस सिद्धू ने कहा है कि सुभाष को कोई अंदरूनी चोट नहीं लगी थी. मौके पर जो दो चश्मदीद थे उन्होंने भी चोट नहीं लगने की बात कहते हुए दावा किया है कि सुभाष खुद ब खुद गिरे थे. तो सवाल ये कि पुलिस कमिश्नर जो कुछ बता रहे थे क्या वो सच से परे है.
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